जे एडगर हूवर: अमेरिकी खुफिया एजेंसी ‘एफबीआई’ के जनक!

 

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो, जो एफबीआई के बारे में न जानता हो. अमेरिका में जब पुलिस के हाथों कोई काम या केस हल नहीं हो पाता, तब एफबीआई के हाथों में ही सारा काम सौंपा जाता है.

सीआईए जैसी उनकी ख़ुफ़िया एजेंसी तो देश से बाहर के मामले संभालती है, मगर घरेलू मामलों की ज़िम्मेदारी तो पहले एफबीआई को ही दी जाती है. सालों से एफबीआई अमेरिका की रक्षा कर रही है और इसका सारा श्रेय जाता है ‘जे एडगर हूवर’ को.

आखिर, उन्होंने ही तो इसका गठन किया था. यह उनकी ही सोच थी कि उन्हें पुलिस से ज्यादा समझदार एक ऐसी फोर्स चाहिए, जो हर तरह के खतरे से निपटने के काबिल हो.

तो चलिए जानते हैं एडगर हूवर कौन थे और क्यो माना जाता है उन्हें एफबीआई का जनक-

बचपन से ही थी सरकार पर नज़र

जॉन एडगर हूवर का जन्म 1 जनवरी, 1895 को अमेरिका में हुआ था. उनके माता पिता दोनों ही अमेरिकी सरकार के लिए काम किया करते थे, इसलिए बचपन से ही उन्होंने देखा था कि आखिर सरकार कैसे काम करती है.

माना जाता है कि बचपन से ही राजनीति में भी उनका बहुत तेज दिमाग था.

वह देश की राजनीति की छोटी-छोटी बातों पर गौर करते थे और अपने तर्क उस पर रखते थे. कहते हैं कि वह बहुत ही तेज-तेज बोला करते थे. अपनी इस ख़ूबी के चलते वह अगर किसी से बात करते हुए कहीं फंस जाते थे, तो जल्दी-जल्दी बोलकर बात को टाल दिया करते थे.

जल्दी बोलने की ख़ूबी के कारण वह अपने स्कूल की डिबेट टीम में भी शामिल हो गए. वहां पर बार-बार जीत हासिल करके उन्होंने अपना नाम कर लिया था.

वहीं से उनके अंदर राजनीति में जाने का विचार भी आया. इतना ही नहीं स्कूल के बाद उन्होंने कई बार लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस में जाकर काम भी किया. इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई भी ताकि, उनके लिए राजनीतिक गलियारे के दरवाजे खुल जाएं.

Edgar Hoover Was A Smart Kid From Childhood (Pic: wikimedia)

जानकारी इकठ्ठा करने में उनके जैसा कोई नहीं था

लॉ की डिग्री लेने के बाद हूवर का ध्यान राजनीति से हट गया. पहला विश्व युद्ध अपनी चरम सीमा पर था. एडगर उस समय ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस‘ के लिए काम किया करते थे.

यूँ तो जंग के दौरान उनका काम ऑफिस में बैठने था. मगर वह फिर भी जानकारी बटोरने का काम किया करते थे. उन्हें अगर किसी भी चीज पर शक होता था, तो वह उसकी तफ्तीश में लग जाया करते थे. उनके अंदर बात की तह तक जाने की एक अलग ही आग थी.

एक बार अगर वह किसी चीज में अपना हाथ डाल देते थे, तो उसे करके ही रहते थे. उनकी यह खूबी उनके सीनियर्स को पसंद आने लगी थी.

यही कारण था कि जैसे ही पहला विश्व युद्ध ख़त्म हुआ, हूवर को ‘जनरल इंटेलिजेंस डिवीज़न’  के ‘ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन’ का हेड बना दिया गया. गद्दी संभाली ही हूवर ने मुजरिमों को पकड़ना शुरू कर दिया.

उस दौर में उन्होंने कई बड़ी रेड्स की, जिससे रातों-रात उनका नाम हो गया.

He Become Head Of Investigation In Early Age (Pic: biography)