होमी भाभा वह नाम है जिससे भारत का हर वैज्ञानिक वाकिफ है. वैसे भी होमी भाभा को कोई कैसे भूल सकता है. यही वह व्यक्ति हैं जिनकी पहल के कारण आज भारत परमाणु ताकत से युक्त हो सका है. इन्होंने ही भारत को वह राह दिखाई जिस पर चल के भारत आज एक विश्व ताकत बना है.
होमी महज एक वैज्ञानिक ही नहीं थे वह एक दूर की सोच रखने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने परमाणु ऊर्चा की ताकत को समझा इसलिए भारत को उससे मिलाने का काम किया.
तो चलिए आज जानने की कोशिश करते हैं आखिर कैसे होमी एक आम बच्चे से भारत के परमाणु प्रोग्राम के हेड बने–
देश उद्धार के लिए ‘पढ़ाई’
होमी भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता शहर के एक नामी वकील थे. बचपन से ही होमी भाभा ने अपनी जिंदगी रईसी में बिताई थी. जो चीज उन्हें चाहिए होती थी वह उन्हें मिल जाती थी. कहते हैं कि जिस स्कूल में वह जाया करते थे वहां पर अधिकतर विदेशियों के बच्चे ही पढ़ते थे.
होमी और कुछ एक भारतीय ही उस स्कूल में थे. क्योंकि उस समय भारत पर अंग्रेजों का दबदबा था इसलिए उन्हें पश्चिमी सभ्यता के बारे में ही पढ़ाया जाता था. होमी को इन सब से कोई ख़ास मतलब नहीं था. उन्हें तो बस विज्ञान पढने में मजा आता था. वह दिन भर ही इसके बारे में पढ़ते रहते थे.
जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उनकी रुची विज्ञान की ओर बढ़ने लगी, इसलिए उन्होंने लंदन जाकर कैम्ब्रिज से इंजीनियरिंग करनी चाही. वहीं पर उन्होंने विज्ञान के बारे में बहुत सी अद्भुत चीजें सीखी.
अपनी जिंदगी के कितने ही साल होमी भाभा ने लंदन में पढ़ाई करने में ही गुजार दिए. वह चाहते तो भारत आकर इंजिनियर की नौकरी कर सकते थे मगर उनके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था.
वह तो भारत के लिए कुछ ठोस करना चाहते थे.
वह भले ही बचपन से पश्चिमी सभ्यता के बारे में पढ़ रहे थे मगर उससे वह बदले नहीं. उन्होंने हमेशा ही अपने अंदर भारतीय को बचा कर रखा. वह भारत को गरीब और पिछड़ा हुआ नहीं देखना चाहते थे. वह तो भारत का नाम विश्व के सबसे बढ़िया देशों में देखना चाहते थे.

Homi Jehangir Bhabha (Pic: twitter)
उज्ज्वल भारत के सपने के साथ आए देश वापिस
1939 तक होमी भाभा लंदन में ही थे.
वह वहां पर अपने कई प्रयोगों को अंजाम दे रहे थे. इसी बीच यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध का बिगुल बज गया और होमी को भारत लौटना पड़ा. युद्ध के कारण वह लंदन नहीं जा सकते थे. इसलिए उन्हें भारत में ही नौकरी करनी पड़ी.
इस दौरान उन्होंने देखा कि भारत और लंदन में कितना फर्क है. उन्होंने देखा कैसे अंग्रेज खुद को तो आगे बढ़ा रहे हैं और कैसे भारत को पिछड़ा देश बनाते जा रहे हैं. वह चाहते तो थे कि वह भारतीयों के लिए कुछ करें, मगर अंग्रेजी हुकूमत उन्हें कुछ करने नहीं देती.
1947 में जैसे ही भारत आजाद हुआ होमी भाभा समझ गए थे कि उनका सही समय अब आ गया है. आजादी के बाद उन्होंने देखा कि कैसे रात होते ही आधा भारत अंधेरे में डूब जाता है. इसलिए उन्होंने भारत में बिजली लाकर उसे रोशन करने की ठानी.
कहते हैं कि आजादी के ठीक आठ महीने बाद 1948 में उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को एक ख़त लिखा. अपने ख़त में होमी भाभा ने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत में एटॉमिक एनर्जी प्लांट बनाया जाए. यह भारत का पहला न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट होगा जो सिर्फ भारत की उन्नति के लिए इस्तेमाल होगा न कि कोई विश्व युद्ध करने के लिए.
जवाहरलाल नेहरु ने होमी की बात पर गौर किया और उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार भी किया. उन्होंने इस प्रस्ताव के बारे में पार्लियामेंट में बात की… नए कानून निकाले. होमी भाभा को इस प्रोग्राम का हेड भी बनाया गया. इसके बाद उन्हें पूरी आजादी दे दी गई भारत में परमाणु उर्जा को लाने की.

Homi Bhabha Father Of Indian Nuclear Power (Pic: electricalindia)
आसान नहीं थी राह…
1958 तक होमी भाभा परमाणु प्लांट बनाने का पूरा प्लान तैयार कर चुके थे.
यह काम कहीं गलत न हो जाए इसलिए वह इंग्लैंड वापस गए अपने प्लान को अपने दोस्तों को दिखाने के लिए. उन्होंने सोचा था कि कोई इस काम को देख कर खुश होगा मगर ऐसा हुआ नहीं. उनके इस प्लान की बहुत आलोचना हुई. कई देशों ने उनका साथ देने से इंकार कर दिया.
इतना ही नहीं उस समय भारत के रूपए की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में बहुत कम थी. यह भी एक कारण था कि कोई भी भारत में इस प्रोग्राम में मदद नहीं करना चाहता था.
अमेरिका सहित बहुत से देश भारत के इस प्रोग्राम पर इसलिए भी रोक लगाना चाहते थे क्योंकि वह सोचते थे कि भारत इसे हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल करेगा. हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं था. पूरा विश्व होमी भाभा के खिलाफ हो गया था. उन्हें भी एक पल को लग गया था कि उनका उज्जवल भारत का सपना कहीं अधूरा न रह जाए.
इसी बीच यूनाइटेड नेशंस की एक कांफ्रेस हुई जिसमें एटॉमिक एनर्जी के बारे में बात की जानी थी. उस कांफ्रेंस में होमी भाभा मौजूद थे.
वहां उन्होंने पूरे विश्व के सामने बताया कि आखिर क्यों भारत इस प्रोग्राम को करना चाहता है. उन्होंने बताया कि भारत कोई हथियार नहीं बनाना चाहता बल्कि वह तो बस इससे देश में फैली हुई गरीबी और पिछड़ी हुई लोगों की जिंदगी को सुधारना चाहता है.
उन्होंने सभी देशों के आगे प्रस्ताव रखा कि शांतिपूर्ण तरीके से भी परमाणु उर्जा को इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने सभी देशों के लिए परमाणु उर्जा से संबंधित नियम व कानून बनाने की भी मांग की.
होमी की बातों पर जब सब ने गौर किया तो उन्होंने भी जाना कि वह सही कह रहे हैं. इसलिए सब ने हामी भरी और भारत को परमाणु ऊर्जा बनाने के लिए हरी झंडी दिखाई.

Nuclear Power Plant (Pic: greenleft)
होमी भाभा की मौत आज भी एक राज़ है!
एक बार जैसे ही होमी भाभा को आजादी मिली न्यूक्लियर प्लांट बनाने की उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया. उन्होंने थोड़े ही समय के अंदर भारत को पहला न्यूक्लियर प्लांट बना कर दे दिया. देखते ही देखते भारत के हजारों लोगों के पास बिजली आ गई थी. जो सपना होमी भाभा ने देखा था उन्होंने आखिर में उसे पा ही लिया.
उनके दिमाग में तो अभी और भी बहुत सी चीजें थी करने के लिए मगर उनकी किस्मत में ऐसा नहीं था शायद!
कहते हैं कि 1965 में एक दिन ऑल इंडिया रेडियो पर होमी भाभा न्यूक्लियर प्रोग्राम की सफलता के बारे में बता रहे थे. उन्होंने उस समय सब को बताया कि भारत के पास अब इतनी परमाणु ताकत है कि वह चाहे तो 18 महीनों में एक परमाणु बम तैयार कर लें.
अपनी इस घोषणा के बाद तो होमी का नाम विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया. साल 1966 में वह एक और एटॉमिक एनर्जी मीटिंग के लिए वियना जा रहे थे. हर कोई होमी भाभा को सुनने के लिए इंतज़ार कर रहा था कि तभी एक दुखद खबर आई.
पाता चला कि होमी भाभा जिस प्लेन से वियना जा रहे थे वह क्रैश हो गया और उस हादसे में होमी की मौत हो गई. पूरा भारत यह बात सुन के हैरान हो गया था.
उस प्लेन क्रैश की असल वजह क्या थी यह आज तक कोई भी पाता नहीं लगा पाया है. होमी भाभा की मौत एक राज बन कर रह गई. हालांकि कई धारणाओं की माने तो उनकी मौत जान बूझ कर करवाई गई ताकि वह भारत को परमाणु बम न दे सके.
सच्चाई क्या है इससे तो आज भी सब अनजान हैं.

Homi Bhabha Father Of Indian Nuclear Power (Pic: commons)
होमी भाभा ने भारत के लिए जो किया वह बहुत ही सराहनीय काम था. उन्होंने अपनी रईसों की जिंदगी छोड़ देश का उद्धार करने पर ध्यान दिया. यही कारण बना कि 1974 में भारत ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नामक अपना पहला परमाणु बम परीक्षण कर सका. यही कारण है कि होमी भाभा को भारत में परमाणु ऊर्जा प्रोग्राम का पिता कहा जाता है.
भारत के परमाणु कार्यक्रम की नींव डालने वाले इस महान पुरुष के बारे में आपके क्या विचार हैं, कमेन्ट बॉक्स में अवश्य बताएं!
Web Title: Homi Bhabha Father Of Indian Nuclear Power, Hindi Article
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