अलादीन के जादुई चिराग, खजाने का तिलिस्म और अली बाबा के चालीस चोरों की कहानियों के बीच अपना बचपन गुजरा है. कितनी अनोखी थी, वो दुनिया जहां चिरागों से हर ख्वाहिश पूरी करने वाले जिन्न निकलते थे और चादरों को हवा में उड़ते देखते थे.
ऐसी हर कहानी पर हमारा विश्वास रहा. कहानियों का यह पिटारा अलिफ लैला ने खोला था. अलिफ लैला दरअसल एक अरबी नाम है. जिसमें अल्फ का अर्थ है हजार और लैला का अर्थ होता है रात. यानी एक रात की हजार कहानियां.
इसके अंग्रेजी संस्करण को ‘अरेबियन नाइट्स’ के नाम से जाना जाता है. जिसे सर रिचर्ड फ्रांसिस बुर्टोन, जोसेफ चार्ल्स और एडवर्ड लेन नेे लिखा था.
अलिफ लैला की अमूमन कहानियों में प्राचीन भारत, ईरान और अरब देशों की पौराणिक कथाओं का संग्रह मिलता है. साथ ही सारी कहानियां कल्पनाओं, तिलस्मी शक्तियों और जादुई किस्सों से भरी हुई हैं, ऐसे में इसके कुछ रोचक पहलुओं को जानना दिलचस्प होगा–
कुछ इस तरह हुई शुरूअात…
कहानी की शुरूआत होती है शहरयार नाम के राजा से, जिसने अपनी पत्नी की बेवफाई के नतीजे में यह प्रण ले लिया था कि वह अपने राज्य की हर लड़की से शादी करेगा. साथ ही दूसरे दिन उसका कत्ल कर देगा. इसके बाद लोग उसका राज्य छोड़कर भागने पर विवश हो जाते हैं.
इस कारण राजा को सबक सिखाने के लिए उसी के वज़ीर की बेटी शहरजाद एक योजना के तहत उससे शादी करती है. शादी के बाद वह राजा को एक कहानी सुनाती है, जिसे सुनकर राजा दीवाना हो जाता है. यह देखकर शहरजाद कहानी कहना ऐसे समय में छोड़ देती है, जब राजा की उत्सुकता अपने चरम पर होती है.
जैसा कि राजा ने प्रण किया था कि वह हर उस औरत को अगले दिन मार देगा, जिससे वह शादी करेगा, लेकिन शहरजाद के साथ वह ऐसा नहीं कर पाया. असल में वह कहानी सुनने की उत्सुकता में उसकी मौत को एक दिन के लिए टाल देता है.
फिर कहानी के अंदर से कहानी निकलती है और हर रात वह उसे ऐसी जगह छोड़ती है, जिसे सुने बिना राजा को रहा नहीं जाता. इसी तरह शहरजाद की मौत टालती रहती है.
इस तरह कई साल निकल जाते हैं. शहरजाद के तीन बच्चे हो जाते हैं और वह एक रात कहानी खत्म कर अपनी किस्मत बादशाह के हवाले कर देती है. तब बादशाह को विश्वास होता है कि हर औरत एक जैसी नहीं होती.
यह वह कहानी है, जिसने हजार रातों की कहानियों को जन्म दिया पर उस कहानी का क्या, जिसने बादशाह को इतना दु:खी कर दिया कि वह शादी के दूसरे दिन ही अपनी हर पत्नी को मार देना चाहता था.
वह कहानी कुछ ऐसी है…
Shahryar Arabian Nights. (Pic: novelninja)
पत्नी और वजीर ने किया विश्वासघात
बात तब की है, जब फारस भी हिन्दुस्तान का हिस्सा हुआ करता था. वहां के बादशाह के दो बेटे थे. बड़े बेटे का नाम शहरयार और छोटे लड़के का नाम शाहजमां था. दोनों बेटों को अलग-अलग राज्यों का भार सौप दिया गया.
बादशाह की मौत के बाद दोनों भाई अपने-अपने राज्य में व्यस्त हो गए. करीब 10 साल बाद शहरयार को लगा कि वह अपनेे छोटे भाई से मिले. इसके लिए उसने अपनी सेना तैयार की और राज्य का पूरा भार अपने वजीर को सौंप कर अपने सेवकों के साथ छोटे भाई शाहजमां से मिलने निकल पड़ा.
जब रात हुई तो सेवकों ने आराम करने के लिए तंबू गाढ़ लिए, लेकिन शहरयार को अपनी बेगम की याद आ रही थी. ऐसे में उन्होंने अकेले ही बिना किसी को बताए वापस महल की तरफ चल दिए. उन्होंने सोचा की रात बेगम के साथ बिताकर वापस आ जाएंगे.
जब वह चुपके से महल में दाखिल हुए तो देखा की उनकी बेगम उन्हीं के वजीर के साथ सो रही थी. बेगम का विश्वासघात देखकर शहरयार से रहा न गया और उसने वहीं बेगम और वजीर का कत्ल कर दिया. इसके बाद दोनों शवों को पिछवाड़े की खिड़की से नीचे गड्ढे में फेंककर वह अपने खेमे में वापस आ गया. उसने किसी से उस घटना का जिक्र नहीं किया.
दूसरे दिन यात्रा फिर शुरू हुई, सभी लोग हंसी खुशी जा रहे थे, लेकिन शहरयार को बार-बार अपनी बेगम की बेवफाई याद आ रही थी, वह पूरे रास्ते दुखी रहा. बड़े भाई के आने की खबर सुनकर शाहजमां बहुत खुश था. उसने अपने भाई का स्वागत किया और अपने साथ महल के अंदर ले गया, लेकिन यहां भी शहरयार को चैन नहीं पड़ा.
More tales from the Arabian nights. (Pic: wikimedia)
भाई के साथ भी हुआ धोखा…
वह भाई के सामने तो खुश था पर अकेले में रो रहा था. उसे बार-बार अपनी बेगम का प्यार और धोखा याद आ रहा था. ऐसे ही कई दिन बीत गए पर याद कायम रही. इस कारण उसका चेहरा पीला पड़ने लगा. छोटा भाई शाहजमां समझ रहा था कि किसी वजह से तो उसका भाई दु:खी है, पर वह कारण नहीं जान पा रहा था. उसने भाई का दुख कम करने के लिए महल में कई आयोजन करवाए पर कुछ ठीक न हुआ.
एक रोज उसका भाई शिकार पर गया और शहरयार महल की खिड़की से बाग-बगीचों को निहार रहा था कि तभी उसे महल के चोर दरवाजे से आती हुई भाई की पत्नी दिखाई दी, उसके साथ बीस दासियां भी थीं.वह तब आश्चर्य से भर गया जब देखा कि दासियों ने अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं और वे अपने असली पुरुषवेश में आ गईं हैं.
इसके बाद सभी बीस पुरुषों ने महल में अपनी पसंद की दासियों को पकड़ लिया. इन सबके बीच रानी अकेली रह गई, लेकिन कुछ देर बाद उसने भी आवाज लगाई ‘मसऊद, मसऊद’. आवाज सुनकर एक नौजवान पुरुष पेड़ से उतरकर रानी के पास आया और उसे गले लगा लिया.
इसके बाद बाग में वे लोग अश्लील नृत्य करने लगे. कभी झरने में नहाते तो कभी गुफाओं में छिपकर प्रेमालाप करते. शाम तक यह सब चला और फिर रात होने तक सभी पुरूषों ने फिर से दासी का रूप धर लिया और उसी चोर दरवाजे से रानी के साथ वापस महल के भीतर आ गए.
यह कांड देखकर शहरयार को अपनी आंखों पर विश्वास न रहा. उसने सोचा कि मैं तो दुखी हूं ही, मेरा बड़ा भाई मुझ से भी अधिक दुखी है. इसके बाद भी वह सामान्य जीवन जीता है, फिर मैं इतने शोक में क्यों हूं? उसने सोचा जब मुझे मालूम हो गया कि यह नीच कर्म संसार में अक्सर ही होता है तो मैं बेकार ही स्वयं को शोक सागर में डुबोए दे रहा हूं.
यह सोचकर उसने सारी चिंता छोड़ दी और पहले की तरह ही सामान्य हो गया.
जब शाहजमां वापस महल लौटा तो उसे आश्चर्य हुआ कि उसका भाई खुश है. वह भी खुश हुआ पर उसने अपनी कसम देकर भाई से दुख का कारण पूछा. शहरयार ने उसे अपनी बेगम की बेवफाई का पूरा राज बयां कर दिया. शाहजमां ने कहा कि आप दुख न करें आपने जो किया वह सही किया. इसके बाद उसने पूछा कि आप अब सामान्य कैसे हुए?
शहरयार ने कहा कि तुम विश्वास नहीं करोगे. शाहजमां ने कहा आप बताइए, शहरयार ने उसे उसकी पत्नी की सारी सच्चाई बता दी. शाहजमां को विश्वास नहीं हुआ, तो शहरयार ने कहा कि तुम फिर से शिकार पर जाओ और फिर पीछे से आकर खुद महल में होने वाले कांड को देख लेना. आखिर यही तय हुआ, दोनों भाई अगले दिन शिकार पर जाने के बहाने से निकले.
रानी ने मौके का फायदा उठाया और फिर से अपने पुरुष दासों संग प्रेमालाप करने लगी, तभी दोनों भाई चुपके से महल में दाखिल हुए और सारा नजारा देख लिया.
One Thousand and one Nights. (Pic: wordpress)
सुंदर स्त्री के साथ प्रेमालाप
यह देखकर शाहजमां को बहुत दुख हुआ. इसके बाद शहरयार ने कहा कि क्यों न हम अपने नगर वापस लौट चलें. वे बिना किसी को सूचना दिए नगर की ओर निकल पड़े. उन्होंने रात को एक उपवन में आराम किया और अगले दिन वहीं बैठकर बातें कर रहे थे कि तभी नदी में कुछ हलचल हुई. दोनों भाई छिप गए और देखा कि नदी में से एक खंबा निकला है और उसके भीतर से दैत्य निकल रहा है.
दैत्य नदी तट पर आया तो उन्होंने देखा कि उसके सिर पर एक सीसे का बड़ा और मजबूत संदूक है जिसमें पीतल के चार ताले लगे हैं. दैत्य ने संदूक को खोला और उसमें से एक खूबसूरत स्त्री निकली. इसके बाद दैत्य उस स्त्री की गोद में सिर रखकर सो गया. दोनों भाई यह नजारा देख रहे थे कि तभी स्त्री की नजर उन पर पड़ी तो उसने उन्हें अपने पास बुलाया.
वे दोनों उसके पास आए और स्त्री के कहने पर उससे प्रेमालाप किया इसके बदले में स्त्री ने उन दोनों से एक-एक अंगूठी ले ली. जब दोनों ने इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरे पास ऐसी 98 अंगूठियां है, तुम्हारी मिलाकर अब सौ हो गई हैं.
यह इस बात का प्रमाण हैं कि मैं सौ पुरुषों के साथ संबंध बना चुकी हूं और यह बात दैत्य को नहीं पता है. इसके बाद दोनों भाई वहां से चले गए. रास्ते में शहरयार ने कहा कि इतनी सुरक्षा के बाद भी स्त्री उस दैत्य को धोखा दे रही है. यानी इस दुनिया में सिर्फ धोखा है, इसलिए अच्छा यह है कि हम अपने-अपने नगर जाएं और फिर कभी विवाह न करें.
The Arabian Nights. (Pic: wordpress)
…और शुरू हुआ मौत का सिलसिला
इतना कह कर दोनों भाई अपने-अपने नगर की ओर निकल पड़े. शहरयार अपने महल में पहुंचा और सोचा कि कोई ऐसा प्रबंध करना चाहिए, जिससे विवाह के बाद उसकी बेगम कभी बेवफाई न कर सके. बहुत विचार के बाद शहरयार ने तय किया कि वह राज्य की हर लड़की से विवाह करेगा और एक रात उसके साथ बिताकर अगले दिन उसे मार देगा.
आखिर यह सिलसिला शुरू हो गया. एक के बाद एक कई लड़कियों की जान चली गई. लोग डर के कारण शहरयार का राज्य छोड़कर जाने लगे. राज्य के एक मंत्री की दो कुंवारी बेटियां थीं, वह भी चिंता में था कि यदि बादशाह ने उसकी बेटियां मांग लीं तो क्या होगा?
मंत्री की बड़ी बेटी शहरजाद ने पिता से कहा कि मैं बादशाह को इस नरसंहार से रोक सकती हूं. बस आप मेरा उससे विवाह करवा दें. पिता ने पहले तो बेटी को रोका फिर उसकी बात मान ली. आखिर शहरजाद का विवाह शहरयार के साथ हो गया.
विवाह की पहली ही रात शहरजाद अपने कमरे में दुल्हन बनी बैठी थी कि तभी उसकी छोटी बहन दुनियाजाद वहां आई. उसने कहा कि मुझे आज रात एक आखिरी कहानी सुना दो क्योंकि अगले दिन तो तुम्हारा कत्ल हो जाएगा.
बादशाह ने भी कहानी सुनाने की आज्ञा दे दी और फिर शहरजाद ने दुनियाजाद को कहानी सुनाना शुरू किया लेकिन उसने कहानी को एक ऐसे रोमांचक मोड़ पर छोड़ दिया कि बादशाह को उसके आगे जानने की इच्छा हुई और उसने बेगम की मौत को एक दिन के लिए टाल दिया.
यह उपाय काम कर गया और शहरजाद ने हर रात इसी तरह कहानी सुनाई. हर रात वह कहानी रोमांचक मोड़ पर लाकर छोड़ देती, मजबूरन बादशाह को उसकी मौत का एक दिन और बढ़ाना पड़ता. इसी तरह हजारों रातें गुजर गईं और कहानी की एक श्रृंखला तैयार हो गई. जिसे आज हम अलिफ लैला या अरेबियन नाइट्स के नाम से जानते हैं.
Scheherazade is the main storyteller. (Pic: artuk)
कहानी के इस पिटारे ने रानी को तो जीवनदान दिया ही साथ ही हमारे बचपन को और भी खुशनुमा बना दिया.
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