शिवकर बापूजी तलपड़े: पहला ‘हवाई जहाज’ बनाने वाले भारतीय

 

यूँ तो आपने अक्सर सुना होगा और किताबों में पढ़ा होगा कि पहला हवाई जहाज राइट ब्रदर्स ने बनाया है और उसके बाद से ही मनुष्य हवा में उड़ने का आनंद ले पाया.

पूरी दुनिया के लिए राइट ब्रदर्स ही हवाईजहाज के असली खोजकर्ता थे, मगर इतिहास के पन्नों में एक कहानी और भी है. वह कहानी है शिवकर बापूजी तलपड़े की, जिन्हें हवाई जहाज का असली जनक माना जाता है.

आखिर क्या है शिवकर बापूजी की असली कहानी, चलिए जानते हैं–

पौराणिक गाथाओं से मिला ‘हवाईजहाज’ बनाने का आईडिया

1864 को मुंबई में पैदा हुए शिवकर बापूजी तलपड़े आर्य समाज के अनुयायी थे. वह शुरुआत से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज थे. संस्कृत और पौराणिक वेद उनके सबसे प्रिय ग्रन्थ माने जाते थे.

यूँ तो वह एक आम जिंदगी जिया करते थे मगर उनकी सोच आम नहीं थी!

उनके अंदर हमेशा ही कुछ अलग और बड़ा करने की चाहत थी. कहते हैं वह विज्ञान और आस्था का मेल करना चाहते थे.

उन्होंने हमेशा ही पौराणिक गाथाओं में विमान का ज़िक्र सुना था. कैसे भगवान के पास एक ऐसा वाहन हुआ करता था जो व्यक्ति को आकाश में उड़ाता था. यूँ तो बहुत से भारतियों ने इसके बारे में पढ़ा था मगर शिवकर बापूजी ने ही उस समय इस पर अलग ढंग से गौर किया.

शिवकर बापूजी तलपड़े ने हजारों साल पहले भारद्वाज ऋषि द्वारा लिखी गई किताब वैमानिका शास्त्र को पढ़ा और उनकी सोच बदल गई. भारत में हजारों साल पहले विमानों का इतिहास मिलता है. प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा रचित श्लोकों में विमान संबंधी विधियों का उल्लेख है. वहीं रामायण और महाभारत के साथ कई अन्य वैदिक ग्रंथों में भी विमानों के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया है.

बाकियों के लिए तो यह सारी बातें महज़ एक कहानी भर थी मगर शिवकर बापूजी तलपड़े ने इसे हकीकत समझा. उन्होंने इसके बाद सोच लिया कि वह भारत के इतिहास को लोगों के सामने लेकर आएँगे.

वस्तुतः वह एक पूर्ण विमान बनाना चाहते थे ताकि इंसान भी पक्षियों की भांति उड़ सके. अपनी इस सोच के साथ शिवकर बापूजी लग गए विमान की खोज में.

Hindu Mythology Have Description Of Airplane (Pic: credibleindian)

मुश्किलों के बावजूद बनाया विमान

शिवकर बापूजी पूरा दिल लगा के हवाई जहाज बनाने में लगा गए. उन्होंने हर किताब को पढ़ लिया. हर मुमकिन कोशिश कर ली विमान की कल्पना को हकीकत बनाने के लिए.

विमान बनाने में सबसे पहली चुनौती जो उनके सामने थी वह यह थी कि विमान निर्माण में जरूरी सामान को कैसे लायें.

यह परेशानी उन्हें दो कारणों से थी. पहला कारण था कि उनके पास पैसों की कमी थी. सामान बहुत सारा लाना था. कई उपकरण और बहुत सी चीजें इसके लिए जरूरी था. दूसरा कारण था कि अंग्रेजों की नज़रों से बचा कर इस काम को अंजाम देना था.

अगर किसी भी अंग्रेज को इस बात की भनक भी लग जाती तो वह शिवकर बापूजी के इस सपने को हमेशा के लिए ख़त्म कर देते. इन सब के बावजूद वह धीरे-धीरे विमान बनाने की कोशिश करते रहे.

उन्होंने बांस का भी इस्तेमाल किया. ईंधन के तौर पर इसमें तरल पारा इस्तेमाल किया गया. कहते हैं कि वह वजन में हल्का था, इसलिए विमान को उड़ने में परेशानी नहीं होती.

अपना पैसा और मेहनत लगाने के बाद आखिरकार उन्होंने विमान को उसका रूप दे ही दिया. वह बहुत अच्छा तो नहीं दिखाई देता था मगर उससे उड़ने की उम्मीद की जा रही थी.

It Is Used To Believe That Shivkar Bapuji Made First Airplane (Representative Pic: btown)