सिकंदर इतिहास में दर्ज एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह इतना ताकतवर और तीक्ष्ण था कि उसे हराना आसान नहीं था. यहां तक कि उसने भारत समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज किया, किन्तु क्या आप जानते हैं कि उसके जीवन में भी कई ऐसे मौके आए, जब उसके सामने भी घुटने तक टेकने की नौबत आ गई थी!
‘बैटल ऑफ हाइडस्पेश‘ एक ऐसा ही युद्ध था, जोकि भारत की ज़मीं पर लड़ा गया. भारत की ज़मीं पर यह सिंकदर द्वारा लड़ा गया आखिरी युद्ध भी था. इसके बात वह भारत से वापस चला गया था, तो आईए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस युद्ध में क्या हुआ था कि सिकंदर को भारत छोड़कर जाना पड़ा था–
भाइयों की हत्या कर बना था ‘राजा’
सिकंदर एक यवनी अर्थात यूनानी राजा था. उसने अपने पिता फिलिप-II की मृत्यु के बाद अपने सौतेले व चचेरे भाइयों की हत्या कर डाली और यूनान के मेसेडोनिया के सिंहासन को हथियाने में कामयाब रहा. इस तरह वह यूनान का राजा बन बैठा.
सिकंदर बहुत ही महत्वाकांक्षी था. वह पूरे विश्व पर अपना अधिकार चाहता था, इसलिए वह पूरी दुनिया को जीतने के लिए निकल पड़ा. चूंकि, वह ईरानियों का कट्टर दुश्मन था, इसलिए उसने राजा बनते ही उन के ऊपर हमला कर दिया. ईरान के पारसी राजा दारा ने उसका सामना करने की कोशिश की, किन्तु वह ज्यादा देर तक सिकंदर के सामने खड़ा नहीं हो सका और हार गया.
सिकंदर की इस जीत ने उसे ख्याति दिलाई. सिलसिला आगे बढ़ा तो वह एक के बाद एक राज्यों को जीतता चला गया. कईयों ने तो उसके सामने बिना लड़े ही हथियार डाल दिए.

Alexander (Representative Pic: themystique)
पोरस ने ठुकराया प्रस्ताव तो…
अपने विजय अभियान को बढ़ाते हुए 326-27 ई.पू. के आसपास भारत पर आक्रमण कर दिया. यह वह दौर था जह पश्चिमोत्तर भारत कई छोटे-छोटे राज्यों बटा हुआ था. इसमें कुछ राज्य राजतंत्रात्मक थे तो कुछ गणराज्य.
कहते हैं कि भारत में सबसे पहले सिकंदर का सामना तक्षशिला के शासक अम्भी से हुआ.
अम्भी ने सिकंदर को चुनौती देने से अच्छा उसके सामने घुटने टेंकने ज्यादा अच्छा समझा और जल्द ही आत्मसमर्पण कर दिया. असल में वह सिकंदर की मदद से अपने प्रतिद्वंदी राजा पोरस को हराना चाहता था, इसलिए सिंकदर के साथ उसने दोस्ती कर ली थी.
अगली कड़ी में अम्भी से मिली जानकारी के हिसाब से सिकंदर ने राजा पोरस को घुटने टेकते हुए, हथियार डालने का संदेश भेजा, जिसे पोरस ने ठुकरा दिया.
… और सिकंदर की सेना ने कर दी थी ‘चढ़ाई’
सिकंदर ने इसे अपने अपमान की तरह लिया और अपनी सेना को पोरस के राज्य की ओर कूच करने का आदेश दे दिया. सही मायने में बस यहीं से ‘बैटल ऑफ हाइडस्पेश’ की जंग शुरू हो गई थी. सिकंदर की सेना सिंधू नदी को पार करते हुए पोरस के अधिकार क्षेत्र में पहुंची.
जहां, सिकंदर की सेना में 50 हजार से भी अधिक सैनिक थे, वहीं दूसरी तरफ पोरस के सैनिकों की संख्या 20 हजार के आस-पास थी. बावजूद इसके पोरस ने सिकंदर की सेना का जमकर सामना किया. उसने सिकंदर की सेना के सामने अपनी गजसेना को खड़ा कर दिया, जिसे देखकर सिकंदर के सैनिक दंग रह गए.
पोरस की सेना ने यूनानियों पर बड़े ही भयंकर तरीके से आक्रमण किया. उनका ये रौद्र रूप देखकर सिकंदर और उसके सैनिक भयभीत हो गए थे! युद्ध के पहले दिन ही सिकंदर की सेना को जमकर टक्कर मिली और उसके अनगिनत सैनिक मारे गए. पोरस की ये गजसेना इस युद्ध में बहुत काम आई. इसके हाथियों के पैरों तले कुचलकर बहुत सारे यूनानी सैनिक मारे गए थे.

Alexander during War (Representative Pic: Pinterest)