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भारतीय सेना ने म्यांमार बॉर्डर पर एक खतरनाक ऑपरेशन में नगा उग्रवादियों को ढ़ेर कर दिया.
28 सितंबर 2016!
भारतीय सूरमाओं ने पड़ोसी पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया.
9 जून 2015!
भारतीय सेना म्यांमार की सीमा के भीतर घुसकर हल्ला बोल चुकी है.
ये तारीखें भारतीय इतिहास में दर्ज हो गई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन हमलों को पूरी दुनिया से छिपाकर अंजाम दिया गया.
हालांकि इंडियन आर्मी का शौर्य, उसकी जांबाजी, उसकी हिम्मत सिर्फ इन तीन ऑपरेशनों तक नहीं सिमटी है.
ऐसा ही एक ख़ुफ़िया आॅपरेशन 1988 में भी अंजाम दिया गया था, जिसका नाम था ‘आॅपरेशन कैक्टस’.
इस आॅपरेशन की मुख्य हीरो थी भारतीय एयरफोर्स. उन्होंने कुछ ही घंटों में विदेशी धरती पर विरोधियों का संहार कर दिया था. यह आजादी के बाद का वह पहला सफल आॅपरेशन था, जिसे सेना ने विदेशी धरती पर अंजाम दिया था.
आइए जानते हैं भारतीय रणबांकुरों के जज्बे को सलाम करती ‘आॅपरेशन कैक्टस’ की कहानी–
मालदीव में छाए थे संकट के बादल
इन दिनों भी मालदीव में संकट के बादल छाए हुए हैं. यह देश मदद की गुहार कर रहा है. ऐसा पहली बार नहीं है जब मालदीव में आंतरिक विरोध बढ़ा हो और तख्तापलट का प्रयास किया गया हो.
इसके पहले 1988 में भी ऐसा ही प्रयास किया गया था.
मौमून अब्दुल गयूम मालदीव के राष्ट्रपति थे, पर उनकी सत्ता मालदीव के अप्रवासी व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक को रास नहीं आ रही थी.
वे देश में तख्तापटल की तैयारी की योजना तैयार कर चुके थे.
1988 को ग़यूम भारत यात्रा पर आने वाले थे. उनको लाने के लिए एक भारतीय विमान दिल्ली से उड़ान भर चुका था.
तभी राजीव गांधी ने उन्हें फोन करके बताया कि उन्हें जरूरी कार्यक्रम में शामिल होना है. इसलिए विमान को वापिस बुलाया जा रहा है. गयूम ने सहमति दे दी पर मालदीव में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त इस यात्रा के सिलसिले में दिल्ली पहुंच चुके थे.
इधर लुथूफ़ी और सिक्का ने श्रीलंका में योजना तैयार की थी कि जब गयूम भारत में होंगे तभी अचानक हमला बोला जाएगा. हालांकि अचानक गयूम की भारत यात्रा टल जाने के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई.
अपनी योजना को अंजाम देने के लिए वे मालदीव में पहले ही अपने लड़ाके तैनात कर चुके थे.
ये लड़ाके पर्यटकों के भेष में वहां छिपे हुए थे. दोनों ने योजना में बदलाव किया और श्रीलंका के चरमपंथी संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम (PLOTE) के भाड़े के लड़ाकुओं को पर्यटकों के भेष में स्पीड बोट्स के ज़रिए पहले ही माले पहुंचा दिया था.
माले के किनारे पर जब उनकी बोट पहुंची तो लोगों को लगा कि वह पर्यटक हैं और उनका स्वागत किया.
लड़ाको ने तुरंत ही अपनी बंदूकें निकाली और आम लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बसरसानी शुरू कर दीं.
यह खबर मिलते ही शहर में पहले से मौजूद लड़ाके भी बाहर निकल आए और बमों से सरकारी इमारतों पर हमले शुरू कर दिए. विद्रोहियों ने एयरपोर्ट, बंदरगाह, सरकारी इमारतें, टेलीफोन स्टेशन, बिजली स्टेशनों पर कब्जा कर लिया.
लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों में छिप गए. दुकानों के शटर खुले छोड़कर दुकानदार भी भाग निकले. जो सड़क पर दिखाई दिया वह लड़ाकों की बंदूक का शिकार बना.
तब मालदीव में दहशत का माहौल शुरू हो गया था.
Operation Cactus Maldives (Pic: wikipedia)