मन चारण कर्म चारणां,
चारणपण अत्यंत I
सुर सूं शक्ति उपजे,
चारण सच्चा संत II
मनमे कोई मेल ना,
हिय में साहित्य पंथ I
शब्द भाव प्रकटे प्रबल,
खुद चारण एक ग्रंथ II
मन चारण कर्म चारणां,
चारणपण अत्यंत I
सुर सूं शक्ति उपजे,
चारण सच्चा संत II
मनमे कोई मेल ना,
हिय में साहित्य पंथ I
शब्द भाव प्रकटे प्रबल,
खुद चारण एक ग्रंथ II