
गीत जात प्रहास सांणोर
आवड़ा आवजो मों भीर कज्ज ईसरी ,
पांतर नह मात अरदास पातां !!
तणोट री राय तव ओट लिधां तिका,
सगती कर वार मां बहन सातां !!1!!
वीस हथी आपने जग सो वखाणें ,
थान हर ठौड़ इसा मात थारा !!
नर सारंग सदा शीश तो नमावै ,
शकवीजन गुण जिका कथै सारा !!2!!
तूंही वरदायनी वसुधा तारणी ,
मात कज सारणी आप मोटी !!
संहारणी असुरां सदा सथ सेवकां ,
करे जुग जयकार संसार कोटी !!3।।
आवड़ा खोड़ली बहुचरा आवजो,
बूट बलाळ अम्हां थाय बेली !!
मम अरजी सुण आवजो मोंगला ,
पात कज चढै सिंह आप पेली !!4!!
बिरदाळी भूल न मात आ वात ने,
वखमी टाळन्तां मात वाटां !!
उबारजो नांव उदधि सूं आपही,
घणीह किरपा करे तार घाटां !!5!!
सर्व ही संसार में बात तोरी सिरै ,
आद अनाद पूरण मात आई !।
वार कर आप झट बणैं जो वाहरू ,
बूडती मम नांव ने तार बाई !!6!।
गांठड़ी पाप री शीश मोरे गजब
अजब जिका तणो भार ऐसो !!
तार उबार मात अरज हैं मुझ तणी ,
जननी अवर कुंण हैं आप जेसो !!7!!
करे मन आश विसवास कर करनल्ला,
सगती इण काज हित मात सेवी !!
मीर मीठो तनां पुकारै मावड़ी ,
दास रो साद सुणें आव देवी !!8!।
- मीर मीठा डभाल
- कवि श्री मीठा मीर डभाल