क्या ख़बर थी इस तरह से वो जुदा हो जाएगा
ख़्वाब में भी उसका मिलना ख़्वाब सा हो जाएगा
ज़िन्दगी की क़ैद-ऐ-ग़म से क्या निकालोगे उसे
मौत जब आ जायेगी तो खुद ही रिहा हो जाएगा
दोस्त बनकर उसको चाहा ये कभी सोचा न था
दोस्ती ही दोस्ती में वो ख़ुदा हो जाएगा
उसका जलवा होगा क्या जिसका के पर्दा नूर है
जो भी उसको देख लेगा वो फ़िदा हो जाएगा
– रुस्तम सहगल वफ़ा