मिस्र में मम्मी की जब भी बात होती है, तो सबसे पहला नाम टूटन खामेन का ही आता है. खामेन मिस्र का वह खोया राजा था, जिसे अगर मशहूर पुरातत्वविद् हावर्ड कार्टर ने न खोज होता तो, उसके सारे राज उसकी कब्र में ही दफन रहते.
माना जाता है कि खामेन की खोज के बाद ही दूसरे पुरातत्वविदों का ध्यान मिस्र की ओर गया और फिर उससे जुड़े एक के बाद एक नए रहस्यों से पर्दा उठा.
तो आईए जानते हैं कि कौन थे हावर्ड कार्टर और उन्होंने कैसे इतना बढ़ा कीर्तिमान रचा-
कभी नहीं गए स्कूल, लेकिन…
हावर्ड कार्टर का जन्म 9 मई, 1874 में लंदन में हुआ था. उनके पिता एक आर्टिस्ट थे और लंदन में उनका काफी नाम था. कहते हैं कि बचपन में हावर्ड चीजों को समझने में थोड़े कमजोर थे, इसलिए उन्हें बाकी बच्चों की तरह स्कूल नहीं भेजा गया.
इसकी बजाए, उन्हें नॉरफोक भेज दिया गया अपनी आंटी के पास.
वहां पर हावर्ड को प्राइवेट होम स्कूलिंग दी गई. घर बैठे-बैठे ही उन्हें हर चीज पढ़ाई गई. कहते हैं कि पिता की तरह ही हावर्ड के अंदर भी बचपन से ही कला के गुर थे.
बताते चलें कि हावर्ड के पिता पुरातत्वविदों के साथ काम किया करते थे. वह उनके लिए मिश्र में मिली चीजों की चित्र बनाते थे. ऐसे ही एक चित्र को देखकर हावर्ड का ध्यान इस ओर खिंच गया. उन्होंने भी सोच लिया की वह आगे चलकर यही काम करेंगे.
पुरानी चीजों को खोजना उनके पीछे का मतलब ढूँढना, उन्हें बहुत ही दिलचस्प काम लगा. फिर क्या था बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने पुरातत्वविदों के साथ काम करने की ठान ली.
साथ ही उन्होंने अपनी चित्रकला पर भी ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया, ताकि उन्हें जल्द ही इसकी नौकरी मिल जाए. बस यही से हावर्ड कार्टर का नया सफ़र शुरू हो गया.

Howard Carter (Pic: dailymail)
पुरातत्वविद् बनने की ठानी और…
साल 1891 में कार्टर का सपना पूरा हुआ. उसी साल उन्होंने पुरातत्वविद् का अपना काम शुरू किया. उनके पिता की जानपहचान के कारण उन्हें यह नौकरी मिलने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई. 17 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने अपना यह काम शुरू कर दिया था.
अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने बहुत से बड़े-बड़े पुरातत्वविदों के साथ काम किया. छोटी उम्र में ही उन्होंने इतना ज्ञान अर्जित कर लिया था, जिसे पाने में लोगों सालों लगा देते. कई सालों तक नौकरी करने के बाद हावर्ड कार्टर ने खुद पुरातत्वविद् बनने की ठानी.
इसकी शुरुआत के लिए उन्हें सिर्फ दरकार थी, तो बस एक फाइनैंसर की. उन्हें ऐसा कोई चाहिए था, जो उनकी खोज में अपना पैसा लगा दें. इसकी तलाश में उन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल बर्बाद किए. वह निराश होने लगे थे, तभी उन्हें एक फाइनैंसर मिल गया.
1907 में उन्हें लार्ड कार्नरवोन ने संपर्क किया और कहा की वह चाहते हैं कि हावर्ड कार्टर मिस्र के सबसे प्रसिद्ध राजा टूटन खामेन की खोई हुई कब्र को खोजें.

Archaeologist Howard Carter (Pic: nothingbutgeek)
आसान नहीं था टूटन खामेन को ढूँढना
गौरतलब हो कि उस वक्त पूरी दुनिया टूटन खामेन की कब्र को ढूँढने में लगी हुई थी, मगर कोई भी नहीं जानता था कि आखिर वह है कहाँ. इस लिहाज से यह काम आसान नहीं था. फिर भी हावर्ड कार्टर ने इसे सहज स्वीकारा और इसमें कई साल लगा दिए.
वह अपनी एक टीम के साथ इस खोज पर निकले थे, जोकि मिश्र की अलग-अलग जगहों पर जाकर खुदाई करती थी. दिलचस्प बात यह थी कि हर बार उन्हें लगता कि उन्हें ‘टूटन खामेन’ की कब्र मिल गई है, मगर ऐसा असल में होता नहीं था.
उन्हें टूटन खामेन तो नहीं मिलता था, मगर उसकी जगह कोई और जरूर मिल जाता था. इसके चलते उन्होंने कई मम्मी की कब्रें खोज निकाली साथ ही कुछ प्राचीन मिश्र के मंदिर उन्होंने खोज निकाले.
हालांकि, इस सब के बावजूद भी उन्हें टूटन खामेन नहीं मिला.
1907 से 1922 आ चुका था. कार्टर की खोज अभी तक पूरी नहीं हो पाई थी. फाइनैंसर्स का दबाब बढ़ता जा रहा था. यह उनकी आखिरी यात्रा थी. इसके बाद उनके फाइनैंसर उन्हें कोई पैसा देने के लिए तैयार नहीं थे.
इससे कार्टर पागल हो गए और टूटन खामेन की खोज को और तेज कर दिया.
इसी कड़ी में एक जगह एक तैखाना सा दिखाई दिया. गजब की बात यह थी कि उसे उन्होंने ही खोजा था मगर, कभी उसे खोला नहीं था. वह तो अचानक जाने से पहले उन्होंने उसे खोलकर देखना चाहा. तैखाने में उन्होंने पाया कि उसके अंदर की सारी चीजें कोई पहले ही ले जा चुका है.
वह थोड़ा सा और आगे बढ़े तो उनका ध्यान एक और बंद दरवाजा पर गया. उसके बाहर लिखा हुआ था ‘टूटन खामेन की कब्र’!
सही समझा आपने अपनी आखिरी यात्रा में कार्टर के हाथ टूटन खामेन की कब्र लग चुकी थी.
इसके बाद तो दुनिया भर में कार्टर का नाम मशहूर हो गया. उनके ऊपर पैसों की बरसात होने लगी. उन्होंने उसे खोज निकाला था, जिसे इतने सालों में कोई भी नहीं ढूँढा पाया था.
उन्होंने दुनिया के सामने टूटन खामेन को ला दिया था.

Archaeologist Howard Carter (Pic: nationalgeographic)
टूटन खामेन के श्राप का किया सामना!
कहते हैं प्राचीन मिस्र के लोग अपनी मम्मी पर श्राप लगाते थे, ताकि अगर कोई भी उन्हें छेड़ेगा तो उसकी मौत हो जाएगी. टूटन खामेन के मामले में भी कुछ ऐसा ही था.
उस पर भी श्राप लगा हुआ था.
इस बात पर कितना यकीन किया जा सकता है, कितना नहीं कोई नहीं जानता. मगर टूटन खामेन की कब्र खोलने के बाद से मौत का सिलसिला शुरू हो गया था!
हावर्ड कार्टर की टीम के लोगों का एक-एक कर मरना शुरू हो गए थे. कहते हैं कि कब्र खोलने के 7 साल के अंदर ही हावर्ड कार्टर की टीम के करीब 12 लोग मारे जा चुके थे, इसलिए ऐसा कहा जा रहा था कि टूटन खामेन की कब्र शापित है.
लोगों ने हावर्ड कार्टर को इसके बारे में सचेत भी किया था. मगर वह नहीं माने. इतना ही नहीं कार्टर के फाइनैंसर भी 1923 में अचानक ही मर गए.
इसके बाद उनकी पत्नी खोज का काम आगे बढ़ाने के लिए पैसे देती रही. थोड़े समय बाद कार्टर भी बीमार रहने लगे और आखिर में 1939 में 64 साल की उम्र में उनकी भी मौत हो गई.
कार्टर के जाने के बाद टूटन खामेन से जुड़ी कई बातें भी चली गई.
कार्टर ने सबसे पहले टूटन खामेन के मकबरे को और कब्र को देखा था. यकीनन ही वह उसके बारे में बाकियों से कुछ ज्यादा ही जानते होंगे.
हालांकि, उनकी मौत ने वह सब बातों को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया.
हावर्ड कार्टर की मौत कब्र खोलने की कारण हुई, यह कोई नहीं कह सकता. आज भी यह बात एक रहस्य ही बनी हुई है.

Archaeologist Howard Carter (Pic: pinterest)
हावर्ड कार्टर भले ही मृत्यु को प्यारे हो गए, किन्तु यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके बाद ही ही लोगों का ध्यान मिश्र की ओर गया. इस तरह उन्होंने ही एक नए युग की शुरुआत की थी, जिसकी जितनी भी चर्चा की जाए कम होगा.
क्यों सही कहा न?.
Web Title: Archaeologist Howard Carter, Hindi Article
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