सोनल करण मुक्ता मणी

छंद = सारसी
सोनल करण मुक्ता मणी

दुहो

सोनल सोनल सिमरता,तरता भव जग तीर.
हमीररी भणे ई हालीयो, पडखे नो रे पीर.

छंद

चारण वरण तारण तरण तिमरा हरण सुरजा समी.
भु गंग जरण उजळा करण करणी किरण अरजा अमी.
जग तुं भरण करही पुरण भयरा अरण भव भंजणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. १

सविता सुचित कर शब्द सरभर छंद घर घर गुंजती.
प्रग्ना पवित पर ज्योत जरहर अहर नीशीहर कुंजती.
लोहरा जंगर त्रोड लंगर भीड किंकर भंगणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. २

रीपु दल सकल मल बल विफल कर प्रबल हो पावनकरी.
ज्योती अचल जल अनल जलहल थल विमल कर तुं खरी.
चारण सबल बल पुरत पल पल अतुल फल रव रंजणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ३

ताकव तरण वट दीयण घट घट प्रगट पट पर परवरी.
अोजस उमट जट कीरण तट तट अघ उलट महिमा भरी.
कीर्ती सुजस रट ललीत रस खट भज सुभट्ट भट्ट जस भणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ४

उज्वल धवल भण प्रफुल्ल मुख तण छुटत छण छण निरमळी.
चो छंद वर्ण वण कंठ धणणण ग्रज गयण गण गळहळी.
उतरण रयण अण दीपत दण दण दीयत दरशण सरजणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ५

धारा बृहद गत प्रभा परखत ग्यान गहकत गहगती.
आभा कमल वत जगी जगवत तुंही महकत महमती.
शुभ सदा सिमरथ निरव निरखथ मिनख मिनरथ शंभणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ६

सघळी विपत हर शिखर सर धर महर कर करुणाभरी.
घोरा तमश पर प्रखर फररर धव्ज धरण तप ते धरी.
तत् सत् लहर लग जबर जररर घररर गो घर पंखणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ७

अवीरत अजीत रीत अभीत नवनीत नवीन नीत नीत अवतरी.
जय जगत हीत तीत तुंही तीत तीत अमीट प्रीत लय तु खरी.
विज कथत कीत कीत अमर क्रीत क्रीत अकथ गीत गीत मंडणी.
अशरण शरण अनगल वरण सोनल करण मुक्तामणी. ८

छंद = कळश छप्पय

सोनल रे सुखदाई,आई चारण चिरताली.
सोनल रे सुखदाई,बाई बेगे बिरदाली.
सोनल रे सुखदाई,पाई प्रगट परचाली.
सोनल रे सुखदाई,साई रेजे रखवाली.
अटक काज सघळा उकेल,सफळ फळे सुखकारणी.
हरो रोग दुविधा सकल,ताकवरा लज तारणी.

 

स्तुती रचनाकार = चारण विजयभा हरदासभा बाटी

मो. 9726364949

Author: Jaydip Bhikhubhai Udhas

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